मुझे गम नहीं की रूठ गया , हर अपना बेगाना | की ज़िंदगी हो तुम , तुम न रूठ जाना |
अब बहारें आए तो कैसे, आए मेरे गुलशन से, जब वही रूठ गए।
वो कहते थे........इस तरह रूठ कर ना जाओ , तुम्हारे बिना रह ना पाएंगे , समेट लो अपनी इन बाँहों मैं , वरना जीते जी मर जाएँगे |